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प्रेस विज्ञाप्ति


भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर की ‘मेरा गांव मेरा गौरव’  योजना का शुभारम्भ

 

भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर द्वारा ‘मेरा गांव मेरा गौरव’  योजना के तहत चयनित 15 गांवों में से बीकानेर शहर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खाजूवाला तहसील के गांव कालासर में कार्यक्रम गतिविधियों का शुभारम्भ किया गया। अन्य विभिन्न कृषि पद्धतियों जैसे पशु पालन, बागवानी या मूल्य सवंर्धन आधारित काश्तकारी करने वाले किसानों में जागरूकता लाने के लिए बीकानेर में स्थित 4 संस्थानों यथा-भाकृअनुप-राअअनुके,  भाकृअनुप-केभेऊअनु, भाकृअनुप-केशुबासं एवं भाकृअनुप-काजरी को भी उनके संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियों को समझाने तथा किसानों से परस्पर वार्ता हेतु आमंत्रित किया गया। एक ग्रामीण अंचल में समूह के रूप में -कालासर, लाखुसर, तेहर जोगना,  बरजू एवं मोतीगढ़ के 250 से अधिक किसानों ने विशेषज्ञों के साथ सक्रिय रूप से वार्ता की और उन्होंने भाकृअनुप के सभी संस्थानों द्वारा विकसित एवं प्रदर्षित प्रौद्योगिकियों के बारे में जाना। राउअनुके द्वारा ऊँट चमड़े, त्वचा, हड्डियों से निर्मित विभिन्न उपयोगी उत्पादों का प्रदर्शन किया गया तथा उष्ट्र दूध से निर्मित खाद्य उत्पाद यथा-सुगन्धित दूध, कुल्फी एवं लस्सी के प्रसंस्करण की तकनीकी को प्रदर्शित  किया गया। प्रदर्शनी स्थल पर संपूर्ण आहार ब्‍लॉक एवं आहार बट्टिकाओं की तकनीकी प्रदर्शित  की गई। किसानों का उष्ट्र उत्पादन/प्रजनन के प्रति रूझान जगाने हेतु अच्‍छी शारीरिक वृद्धि वाले  टोरडा व टोरडिया,  उत्कृष्ट नर सांड व दुग्ध उत्पादन के आधार पर श्रेष्ठ दूधारू ऊँटनी संबंधी प्रतियोगिताएं आयोजित की गई इन वर्गों में उत्तम पशुओं के पालकों को सम्मानित किया गया। किसानों को संबोधन के दौरान मुख्य अतिथि डॉ. अमर सिंह फरोदा, पूर्व अध्यक्ष,  कृ.वै.च.म., नई दिल्ली एवं पूर्व-कुलपति,  म.प्र.कृ.प्रो.वि., उदयपुर ने क्षेत्र में किसानों के लाभार्थ इस प्रकार के कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने किसानों को फसल उत्पादन,  बागवानी,  पशु उत्पादन, स्वास्थ्य या उत्पादन के विपणन इत्यादि में आ रही बाधाओं को विषय विषेषज्ञों के समक्ष खुले मन से रखने हेतु प्रोत्साहित किया ताकि ये विशेषज्ञ इन बाधाओं से छुटकारा दिलाने में उनको सहायता प्रदान कर सके जो कि अंततः उत्पादकता बढ़ाने एवं स्वास्थ्य लाभ प्राप्ति में मददगार सिद्ध होगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि किसान अब कृषि को एक व्यावसायिक उद्योग के रूप में देखें तथा महत्वपूर्ण तकनीकें एवं पद्धतियां सीखें ताकि इनके द्वारा कृषि जिंस हेतु उत्पादन को बढ़ाया जा सकेगा। डॉ.पी.पी.रोहिला, क्षेत्रीय परियोजना निदेशक, क्षेत्रीय परियोजना निदेशालय,  जोन-छह जोधपुर ने मेरा गांव मेरा गौरव कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की तथा शुष्क क्षेत्र के किसानों के मुद्दों पर बातचीत हेतु कृषि से संबंद्ध सभी विषयों के विशेषज्ञों को एक साथ लाने में राउअनुके के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों और तकनीकी कार्मिकों के नियमित दौरे किसानों की वास्तविक बाधाओं को दूर कर उनके ज्ञान में अभिवृद्धि करेंगे जो कि उनके जमीनी स्तर पर आने वाली समस्याओं का व्यावहारिक समाधान निकालने में सहायक सिद्ध होंगी। राउअनुके द्वारा इस अवसर पर कालासर एवं इसके नजदीकी गांवों के सभी पशुधन हेतु आयोजित स्वास्थ्य सह चिकित्सा शिविर में लगभग 450 पशुओं जिनमें 50 ऊँटों, 45 गायों और  भेड़, बकरी जैसे  पशुओं के विभिन्न रोगों का उपचार किया गया। केन्द्र के इस कार्यक्रम में सहभागिता निभाने वाले सभी संस्थानेां के विशेषज्ञों द्वारा अपने संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई तथा किसानों के साथ परस्पर वार्ता बैठक में उनके द्वारा उठाए गई प्रासंगिक प्रश्‍नों/जिज्ञासाओं का भी उचित मार्गदर्शन देकर निराकरण किया गया। किसानों को यह भी जानकारी संप्रेषित की गई कि मेरा गांव मेरा गौरव कार्यक्रम के तहत ही अन्य संस्थानों ने भी समूह के रूप में विभिन्न गांवों का चयन कर उन्हें गोद लिया है जिनमें किसानों की जरूरतों के अनुसार इन संस्थानों के विशेषज्ञ अपनी सेवाएं देंगे ताकि शुष्क क्षेत्र में कृषि को लाभदायक बनाया जा सके। कालासर, लाखुसर एवं जोगना के प्रधानों ने भाकृअनुप की इस योजना की सराहना की और उन्होंने इसमें गांवों की ओर से भरपूर सहयोग हेतु आश्वस्त किया।