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बीकानेर ऊँट


                                                        बीकानेरी नर

बीकानेरी नस्ल भारत की एक प्रमुख उष्ट्र नस्ल है। इस नस्ल का नाम ‘बीकानेर’ शहर से लिया गया है जो कि राव बीका द्वारा 15 वीं शताब्दी में स्थापित किया था। यह अपनी श्रेष्ठ भारवहन क्षमता के लिए जाना जाता है ।

  • आवास एवं वितरण

बीकानेरी ऊँट, बीकानेर जिले एवं आस-पास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह नस्‍ल राजस्थान के श्री गंगानगर, चुरू, झूंझनू, सीकर एवं नागौर तथा सीमा से लगे हरियाणा एवं पंजाब राज्यों में भी पायी जाती है। इसका प्रजनन क्षेत्र पूर्व में 71°53’ देशान्तर से 78°15’ तक तथा उत्तर में यह 24°37’ से 30°30’ अंक्षाश तक फैला हुआ है। इस नस्ल के गृह क्षेत्र का वातावरण शुष्क एवं रेतीला तथा अधिक गर्म एवं ठंडा है।

  • विशेषताएँ

बीकानेरी ऊँट आकर्षक, सौष्ठव एवं उत्तम बनावट के होते हैं। इनकी ऊँचाई अच्छी, बनावट मजबूत एवं सक्रिय होते हैं। ये सामान्यतया गहरे भूरे रंग अथवा काले रंग के होते हैं। यद्यपि कुछ जानवरों में हल्का लाल रंग भी होता हैं। इनका शरीर सुडौल एवं सिर थोड़ा गुंबद के आकार का होता है। इनके सिर पर आगे की ओर गहरा गढ्ढा होना इनकी एक विशिष्ट पहचान है। इनका नाक लम्बा एवं सिर के दो तिहाई भाग तक फैला होता है। इस नस्ल के कुछ ऊँटों की भौंहों, पलकों एवं कानों पर घने काले बाल पाए जाते हैं जिससे इन्हें 'झींपरा' कहा जाता है। इसकी छाती में स्थित तलुआ अच्छी तरह विकसित एवं कोहनी के कोण पर स्थित होता है। इसके कंधे मजबूत, चौड़े एवं अच्छी तरह छाती से लगे होते हैं। इसकी गर्दन मोटी एवं पर्याप्त ऊँचाई में होती है। मादाओं में अयन अच्छी तरह विकसित होती है।

जैसलमेरी ऊँट


                                                            जैसलमेरी नर
  • आवास एवं वितरण

इस नस्ल के प्रजनन क्षेत्र में जैसलमेर, बाड़मेर एवं जोधपुर जिले का भाग शामिल है। प्रजनन क्षेत्र पूर्व की ओर 69° 30' से 73° 04' देशान्तर तक एवं उत्तर की ओर 24° 37' से 28° 15' अक्षांश में बहुत कम वनस्पति वाला है। रेतीले धोरे इस क्षेत्र की विशिष्ट पहचान है।


  • विशेषताएँ

जैसलमेरी ऊँट स्वभाव से फुर्तीले एवं पूर्ण ऊँचाई व पतली टांगों वाले होते हैं। इनका सिर एवं मुंह छोटा तथा थूथन संकरी होती है। इन ऊँटों की गर्दन पतली व लम्बी होती हैं एवं सिर छोटा तथा आंखे चमकदार होती है। सिर गुंबद के आकार का नहीं होता है तथा अग्र सिर पर किसी प्रकार का गङ्ढा नहीं होता है। इनकी भौंहों, पलकों एवं कानों पर घने काले बाल नहीं पाए जाते हैं। ये ऊँट सामान्यतया हल्के भूरे रंग के होते हैं। जैसलमेरी ऊँटों के शरीर पर पतली त्वचा एवं छोटे बाल होते हैं। अयन सामान्यतया आकार में गोल होते हैं। यह ऊँट की एक मध्यम आकार की नस्ल है।

कच्छी नस्ल

 

                                                           कच्‍छी नर

 

  • आवास एवं वितरण

    कच्छी नस्ल गुजरात राज्य के कच्छ के रण में बसती है। प्रमुख प्रजनन क्षेत्र गुजरात के कच्छ एवं बसनकांठ जिले हैं तथा यह पूर्व में 68° 20' से 74° देशान्तर एवं उत्तर में 22° 51' से 24° 37' अक्षांश तक विस्तारित है। यहां की धरती दलदली एवं नमकीन झाड़ियों से परिपूर्ण है।
  • विशेषताएँ

 

इस नस्ल के ऊँट सामान्यतया मटमैले रंग के होते हैं तथा भौंहे एवं कानों पर बाल नहीं होते हैं। शरीर के बाल रूक्ष होते हैं। मध्यम आकार का सिर तथा अग्र सिर पर 'गङ्ढा नहीं होता है। शरीर मध्यम आकार का होता है। इस नस्ल के ऊँट भारी एवं प्रदर्शन में ढीले होते हैं। ये बलवान एवं कुछ छोटे होते हैं। इनके पुट्ठे मजबूत, टांगें भारी, पावों के तलवे कठोर एवं मोटे होते हैं। ये कच्छ के नम वातावरण एवं दलदली भूमि को अच्छी तरह से अनुकूलित किए हुए हैं। कुछ जानवरों में दांत दूरी पर स्थित होने के कारण नीचे के होंठ लटके हुए होते हैं। अयन अच्छी तरह से विकसित एवं ज्यादातर आकार में गोल होते हैं।

मेवाड़ी ऊँट

                                                            मेवाड़ी नर


इस नस्ल ने अपना नाम मेवाड़ क्षेत्र से प्राप्त किया है जहां ये बहुतायत पाए जाते हैं। मेवाड़ी नस्ल अपनी दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए प्रसिध्द है।

  • आवास एवं वितरण

इस नस्ल का प्रमुख प्रजनन क्षेत्र राजस्‍थान के उदयपुर, चित्तौडगढ़, राजसमन्द जिले तथा मध्यप्रदेश के नीमच एवं मन्‍दसौर मंसूर जिले हैं। इस नस्ल के ऊँट भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपूर जिलों तथा राजस्थान के हाड़ौती में भी देखे जा सकते हैं । प्रजनन क्षेत्र पूर्व की ओर 73° 02' से 77° 20' देशान्तर एवं उत्तर में 22° 55' से 25° 46' अंक्षाश तक अच्छी वनस्पति एवं वर्षायुक्त हे। इस क्षेत्र की समुद्र स्तर से औसत ऊँचाई 575 मीटर है। यह क्षेत्र मेवाड़ के अरावली पहाड़ों से अटा हुआ है।

  • विशेषताएँ

मेवाड़ी ऊँट बीकानेरी ऊँटों से स्‍थूल एवं कुछ छोटे होते है। इनके पुट्ठे मजबूत, भारी टांगे, पांवों के तलवे कठोर एवं मोटे होते हैं। पहाड़ों पर यात्रा एवं भार ले जाने के लिए अनुकूलित है। शरीर के बाल रूक्ष होते हैं जो इन्हें जंगली मधुमक्खियों एवं कीड़ों के काटने से बचाते हैं। ये ऊँट हल्के भूरे रंग या सफेद होते हैं। कुछ ऊँट बिल्कुल सफेद रंग के होते हैं। सामान्यतया इस प्रकार की रंग-विविधता ऊँटों में कम देखाई देती है। इनका सिर भारी, गर्दन मोटी होती है। बीकानेरी ऊँट से भिन्न, मेवाड़ी ऊँट के अग्र सिर पर कोई गङ्ढा नहीं पाया जाता है परंतु थुथन ढीली होती है। कान मोटे एवं आकार में लघु तथा पृथक रूप से होते हैं। पूछ लम्बी एवं मोटी होती है। मादाओं में दुग्ध शिरा पूर्ण विकसित एवं अयन भारी होते हैं।