national-research-canter-on-camel

विकसित प्रौद्योगिकी/उपलब्धियॉं

1. संवर्ध्दित उष्ट्र-दुग्ध उत्पाद

ऊँट को एक दूधारू पशु के रूप में स्‍थापित करने के उद्देश्‍य से तीन मुख्‍य प्रयासों के अन्‍तर्गत एक ऊँट दूध की स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक पेय मूल्‍य संवर्धित उष्‍ट्र दुग्‍ध उत्‍पाद यथा- दूध, चाय, कॉफी एवं कुल्‍फी के रूप में ब्रिकी की गई। इस तरह की तकनीकी उन्‍नति स्‍वास्थ्‍य और खाद्य उद्यो़ग पर वाणिज्यिक प्रभाव डालती है जो कि अंतत: ऊँट पालकों की मददगार साबित होती है। केन्‍द्र के उष्‍ट्र दुग्‍ध पार्लर में वर्ष 2010-11 के दौरान उष्‍ट्र दुग्‍ध एवं इससे निर्मित उत्‍पादों की 2.96 लाख रूपये की ब्रिकी की गई।

उष्ट्र दुग्ध एवं इसके उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ाने एवं वाणिज्यीकरण हेतु निम्नलिखित मूल्य संवर्ध्दित उष्ट्र उत्पाद विकसित एवं मानकीकृत किए गए है।
1.किण्वित दुग्ध उत्पाद (लस्सी)
2.साफ्ट चीज
3.सुगन्धित उष्ट्र दुग्ध


4.उष्ट्र दुग्ध निर्मित चाय एवं कॉफी
5.आइसक्रीम (कुल्फी)


6.उष्ट्र दुग्ध निर्मित गुलाब जामुन

राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र,बीकानेर द्वारा उष्‍ट्र दुग्‍ध से निर्मित एक नए मूल्‍य संवर्धित दुग्‍ध उत्‍पाद ‘गुलाब जामुन’ का गणमान्‍य जनों डॉ.नगेन्‍द्र शर्मा, पूर्व कुलपति एवं अध्‍यक्ष, आरएसी(एनआरसीसी) एवं डॉ.सी.एस.प्रसाद, एडीजी (एएनएण्‍डपी) द्वारा लॉन्‍च किया गया


7.उष्‍ट्र दुग्‍ध से निर्मित पेड़ा

उष्‍ट्र दुग्‍ध से निर्मित मावा अच्‍छे स्‍वरूप में पीसी हुए चीनी के साथ 3:1 के अनुपात में मिश्रित किया गया। मिश्रण को अलग अलग आकार दिया गया। पेड़े में नमी और वसा पदार्थ क्रमश: 6-7 प्रतिशत एवं 10-11 प्रतिशत था।


8. उष्‍ट्र दुग्‍ध निर्मित बर्फी

यह उष्‍ट्र दुग्‍ध मावा एवं शुगर के 4:1:5 अनुपात के मिश्रण से तथा 10-15 प्रतिशत चॉकलेट पॉउडर के साथ तैयार की गई। बर्फी में नमी एवं वसा पदार्थ क्रमश: 5-6 एवं 10-12 प्रतिशत था।


9.उष्‍ट्र दुग्‍ध पनीर

10.उष्‍ट्र दुग्‍ध मक्‍खन एवं घी

11.उष्‍ट्र दुग्‍ध मावा

12.उष्‍ट्र दुग्‍ध राबड़ी

उद्योगों/अनुसंधानकर्ताओं हेतु तकनीकों का विकास

1.उष्‍ट्र दुग्‍ध पाउडर

लाइफोलाईज वसा रहित दुग्‍ध पाउडर कच्‍चे, पास्‍तुरीकृत एवं उबले हुए दूध से तैयार किया गया। सफेद रंग के इस पाउडर की गंध सामान्‍य तथा स्‍वाद नमकीन था। इस स्किम मिल्‍क पाउडर में नमी और वसा की मात्रा प्रतिशत क्रमश: 5-6 तथा 1-1.5 था। इस पद्धति से लब्धि 6.8-7.6 प्रतिशत आंकी गई।


2.उष्‍ट्र दुग्‍ध त्‍वचा क्रीम

2. प्रसवोत्‍तर पुन: प्रजनन
ऊँटों में लम्‍बी गर्भधारण अवधि (लगभग 390 दिन) के साथ-साथ प्रजनन का मौसम (दिसम्‍बर से मार्च), उष्‍ट्र जनन को आर्थिक रूप से अनाकर्षक बनाता है। परंपरागत रूप से एक ऊँटनी एक ऋतु में प्रजनित होती है, व अगली ऋतु में वत्‍स जनन के पश्‍चात आगामी ऋतु में लैंगिक निष्क्रियता प्रकट करती है। जिससे दो बच्‍चों के मध्‍य लम्‍बा अंतराल एवं आर्थिक नुकसान होता है।

केन्‍द्र की जनन इकाई द्वारा किए गए अनुसंधान से यह पता चला है कि प्रसवोत्‍तर के पश्‍चात शीघ्र प्रजनन करवाया जाना संभव है। प्रसवोत्‍तर मादा ऊँटों में 30,50 या 70 दिनों पश्‍चात प्रजनन करवानें पर इनमें 20-25 प्रतिशत तक ऊँटनियां ग्‍याभिन करवाने में सफलता प्राप्‍त की गई। इस अपरंपरागत तरीके से प्रजनन करवाने पर दो ब्‍यांत के मध्‍य अंतर को कम से कम 300 दिनों तक कम किया जा सकता है। इस तकनीक/तरीके को अपनाने से वर्तमान में वयस्‍क प्रजनन योग्‍य मादा ऊँटों से 20 प्रतिशत अधिक वत्‍स प्राप्‍त किए जा सकते हैं। इस तकनीक में मंहगे रसायन या निवेश की आवश्‍यकता नहीं है बल्कि केवल विशेषज्ञ द्वारा ऊँटनी के निरीक्षण की आवश्‍यकता है।

3. उष्‍ट्र प्रबन्‍धन

 

प्रौद्योगिकिय उपलब्धियॉं

1. केन्‍द्र में जन्‍मा ऊँटनी का सफेद बच्‍चा

राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र, बीकानेर में दिनांक 14 दिसम्‍बर, 2010 को एक दुर्लभ सफेद उष्‍ट्र बच्‍चे का जन्‍म हुआ। मेवाडी नस्‍ल का यह सफेद उष्‍ट्र बच्‍चा मादा है तथा इसका वजन 33 किलोग्राम है।

इस केन्‍द्र द्वारा प्रत्‍येक नस्‍ल के उत्‍कृष्‍ट समूह के विकास हेतु पहल की गई और नस्‍ल निर्धारण हेतु पर्याप्‍त ध्‍यान केन्द्रित करने पर जोर दिया गया है। प्रजनन क्षेत्रों से नस्‍ल के निरन्‍तर चयन एवं समय-2 पर नर सांडों के बारे में सही जानकारी के कारण केन्‍द्र में रखे गए अधिकांश जानवरों की नस्‍ल निर्धारण में सफलता प्राप्‍त की गई है।

 

2. केन्‍द्र द्वारा एम्‍बुलेटरी क्लि‍निक सेवा प्रारंभ

केन्‍द्र द्वारा उष्‍ट्र पालकों के साथ बेहतर समन्‍वय और यथास्‍थान स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं उपलब्‍ध करवाने जाने हेतु कैमल एम्‍बुलैटरी क्लिनिक सेवा प्रारंभ की गई। केन्‍द्र के वैज्ञानिक गण एक माह में तीन बार गांवों का दौरा करते हैं।

 

3. केन्‍द्र में लघु फीड प्‍लांट की स्‍थापना

विभिन्‍न चारों और सांद्रण मिश्रण तैयार करने हेतु एक लघु फीड प्‍लांट लगाया गया। अब अनुसंधानकर्ताओं और उष्‍ट्र पालकों को उनकी आवश्‍यकतानुसार फीड तैयार करने की सुविधा उपलब्‍ध है।

 

 

4. उष्‍ट्र दुग्‍ध प्रसंस्‍करण इकाई का दृढिकरण

उष्‍ट्र दुग्‍ध प्रसंस्‍करण इकाई में दुग्‍ध विश्‍लेषक, आइसक्रीम संयंत्र, लघु स्‍प्रे ड्रायर इकाई में जोडा गया।

 

5. उष्ट्र के लिए आहार ब्लॉक

केन्द्र द्वारा ऊँटों के लिए संपूर्ण आहार ब्लॉक विकसित किए गए हैं। ये ब्लॉक स्वादिष्ट व पचनीय है तथा इनका भण्डारण एवं परिवहन सरलता से किया जा सकता है।


6.  उष्ट्र गाड़ी हेतु विद्युत संकेतक

केन्द्र द्वारा उष्ट्र गाड़ी के माध्यम से विद्युत उत्पादन की तकनीक विकसित की गई है जिसमें 12 वॉल्ट शुष्क बैट्री का उपयोग कर 20-22 घंटे तक सरलतापूर्वक बिजली उत्पादित की जा सकती है। यह उष्ट्र गाड़ी के पहिए द्वारा घूमते हुए 2 से 5 एम्पीयर बिजली उत्पादित करती है। इसे बहुत सरलतापूर्वक गांवों में घरेलू उपयोग एवं रात्रि में प्रकाश व्यवस्था द्वारा दुर्घटनाओं इत्यादि को कम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। गाड़ी का पहिया बिना किसी अतिरिक्त दबाव के आराम से घूम सकता है।

 

7. उष्ट्र शक्ति द्वारा विद्युत उत्पादित

 


केन्द्र में विद्युत उत्पादन एवं कृषि प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है जिससे ऊँट अपनी भारवाहकता द्वारा कृषि कार्यों का संचालन करते हैं। यह प्रणाली विद्युत रहित ग्रामीण क्षेत्रों में ऊँटों की सहायता से पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा का सस्ता स्रोत है।