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11वीं योजना के अनुसंधान कार्यक्रम

  1. देशी ऊँटों में उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने हेतु पारंपरिक और आण्विक उपायों द्वारा आनुवंशिक सुधार

  2. गतिविधियाँ

    • ऊँटों में आर्थिक रूप से महत्‍वपूर्ण लक्षणों जैसे तीव्र वृध्दि, शीघ्र परिपक्वता एवं अधिक दुग्ध उत्पादन के मूल्‍यांकन एवं चयन हेतु चिन्‍हकों का प्रयोग
    • भारतीय ऊँट में गुणात्मक एवं मात्रात्मक आनुवंशिक मानकों पर अध्ययन
    • देशी ऊँटों एवं दो कूबड़ वाले ऊँटों में आण्विक आनुवंशिकी अध्ययन

  3. तापमान, नमी सूचकांक के संदर्भ में जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन एवं तनाव कार्यिकी पर अनुसंधान

  4. गतिविधियां

    • ऊँट की उष्ण सहनशीलता की क्षमता के आकलन हेतु अजैविक एवं जैविक तनाव के लिए जीन अनुसंधान एवं एचएसपी जैसे आण्विक मार्करों का उपयोग
    • संभावित वातावरणीय परिवर्तन के अन्तर्गत आश्रय प्रबंधन
    • विभिन्‍न परिस्थितियों में अनुकूलन सुनिश्चित करने के लिए पोषण और प्रबन्धन विधियाँ
    • ऊँटों की वृध्दि, गर्भावस्था, एवं दुग्धावस्था में रक्त, जैव रसायनिक, हार्मोन, एन्जाइम एवं खनिज घटकों के स्तर की पूर्ण रूपरेखा

  5. परिवहन, कृषि-कार्यों एवं विद्युत उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में उष्ट्र ऊर्जा लेखा-जोखा एवं उपयोगिता का मूल्यांकन

  6. गतिविधियाँ

    • गाड़ी खींचने एवं कृषि कार्यों हेतु उष्ट्र-ऊर्जा का मूल्यांकन
    • उष्ट्र-ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन

  7. विभिन्न उष्ट्र उत्पादों का सुरक्षा एवं गुणवत्ता मानक-युक्त प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन

  8. गतिविधियाँ

    • विभिन्न उष्ट्र उत्पादों व उपोत्पाद का प्रसंस्करण, मूल्य संवर्ध्दन एवं व्यावसायीकरण
    • उष्ट्र दूध की औषधीय उपयोगिता हेतु मूल्यांकन एवं इसके व्यावहारिक भोजन के रूप में उपयोग

  9. उचित उत्पादन हेतु उष्ट्र जनन एवं शारीरिक कार्य क्षमता में सुधार

  10. गतिविधियाँ

    • वीर्य के प्रभाव को बढ़ाने के लिए जैव-रासायनिक मानकों का अध्ययन
    • आधुनिक व उभरती हुई प्रौद्योगिकी द्वारा ऊँटों में कृत्रिम गर्भाधान की उपयोगिता हेतु सुधार
    • उच्च अण्डोर्त्सन और तुल्यकालन के लिए उपयुक्त कार्यविधि का विकास करना
    • जनन विकार सम्बन्धी कारकों की पहचान एवं इनकी मुक्ति हेतु आवश्‍यक प्रौद्योगिकी का विकास
    • उष्ट्र प्रजनन में यौन और जैव उत्तेजना की भूमिका
    • ऊँट में जनन क्षमता स्तर का विभिन्न उत्पादन वातावरणीय परिस्थितियों में मूल्यांकन
    • जनन अन्त:स्त्राविकी पर अध्ययन

  11. सजगता, रक्त जांच, निगरानी एवं नियन्त्रण उपायों द्वारा उष्ट्र रोग प्रबंधन

  12. गतिविधियाँ

    • उष्ट्र बाहुल्य राज्यों में जानपदिक रोगों का रेखांकन
    • उष्ट्र स्वास्थ्य और उत्पादन पर रोगों के आर्थिक प्रभाव
    • महत्वपूर्ण उष्ट्र बीमारियों के निदान हेतु कार्यविधि का विकास एवं सत्यापन
    • ऊँटों में समकालीन वैकल्पिक चिकित्सा की व्यवहार्यता और प्रभावकारिता पर अनुसंधान
    • उष्ट्र प्रतिरक्षा प्रणाली का निदान और औषधीय उपचार हेतु उपयोग
    • उष्ट्र कोशिका द्रव्य सम्बन्धी जीन की आण्विक क्लोनिंग एवं निर्धारण
    • ऊँटों में नवजात प्रतिरक्षा प्रणाली पर अध्ययन

  13. उत्पादन में सुधार हेतु आहार संसाधन तालिका निर्माण एवं उच्च-स्तरीय आहार तकनीकी

  14. गतिविधियाँ

    • पोषक तत्वों की जैव उपलब्धता में सुधार हेतु निम्न गुणवत्ता वाले चारा संसाधनों का मूल्य संवर्ध्दन
    • ऊँटों की विभिन्न शारीरिक अवस्थाओं में आहार एवं पोषण आवश्‍यकताएं एवं इनके लिए आहार मानकों का विकास करना
    • मीथेन गैस उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीवों में कमी लाने हेतु वनस्पतिक उपापचयक का उपयोग
    • उष्ट्र बछड़ों की विभिन्‍न आहार प्रबंधन पद्धतियों में वृध्दि क्षमता का मूल्यांकन एवं नीतिगत पूरकता के माध्यम से सीमित पोषक तत्वों द्वारा इनकी आपूर्ति करना

  15. प्रचलित एवं जलवायु परिवर्तित परिदृश्‍य में उपयुक्त उष्ट्र प्रबंधन पध्दतियों का विकास

  16. गतिविधियाँ

    • समाजार्थिक परिवर्तन द्वारा प्रभावित उष्ट्र पालन परिदृश्‍य का निर्माण करना
    • परिशुध्द उष्ट्र पालन एवं इसके घरेलू आहार एवं आर्थिक सुरक्षा में योगदान पर अध्ययन
    • उष्ट्र पालकों के उत्थान के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों का सत्यापन, शोधन एवं प्रसार
    • सामयिक चारा फसलों यथा- अम्ल चयापचय (सीएएम) किस्मों का उत्पादन

  17. उष्ट्र पालन एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास तथा राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संसाधनों से संपर्क

  18. गतिविधियाँ

    • ऊँट के स्वास्थ्य एवं उत्पादन के विभिन्न पक्षों पर वैज्ञानिकों/पशु चिकित्सकों/राज्य कृषि विश्‍वविद्यालयों/गैर सरकारी संगठनों को प्रशिक्षण।
    • उष्ट्र पालन कला एवं विज्ञान में ऊँट पालकों/किसानों को प्रशिक्षण ।
    • किसान मेला, गोष्ठी, पशु मेलों, मुद्रित एवं इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्‍यमों के द्वारा जानकारी का प्रचार-प्रसार
    • ग्रीष्मकालीन संस्थान/सम्मेलन/ कार्यशाला का आयोजन
    • अन्तर-संस्थागत संपर्क और समन्वय