सूचना का अधिकार
राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र की वेबसाइट (एनआरसीसी) पर सूचना का अधिकार के अन्तर्गत आपका स्वागत है। यह भाग सूचना का अधिकार अधिनियम की आवश्यकताओं के अनुसार रूपांकित एवं विकसित किया गया है। यद्यपि हम पूर्ण अधिनियम यहाँ दिखाने में असमर्थ हैं तथापि हमने संक्षिप्त विवरण और कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ उपलब्ध करवाने का प्रयत्न किया है।
» सूचना से क्या तात्पर्य है ?
सूचना से तात्पर्य है कि कोई भी सामग्री किसी भी रूप में रिकॉर्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ई मेल, राय, सलाह, प्रेस विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लॉग बुक, अनुबंध, प्रतिवेदन, कागजात, नमूने, मॉडल, डेटा सामग्री किसी भी इलेक्ट्रॉनिक प्रपत्र और किसी भी निजी निकाय से सम्बन्धित, जो किसी भी अन्य कानून के तहत समय में प्रभावी हुई हो, तक किसी सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा पहुंचा जा सकता हो।
» सूचना का अधिकार कब से लागू हुआ ?
सूचना का अधिकार 12 अक्टूबर, 2005 (15 जून, 2005 को इसके अधिनियमन के 120 दिन पर) अस्तित्व में आया। सरकारी अधिकारियों [एस.4 (1)], लोक सूचना अधिकारियों और सहायक लोक सूचना अधिकारियों के पद के दायित्वों [(1) एस.5 और 5 (2)], केन्द्रीय सूचना आयोग का गठन (एस.12 और 13), राज्य सूचना आयोग का गठन(एस.15 और 16), खुफिया और सुरक्षा संगठनों पर यह अधिनियम लागू नहीं है (एस.24), अधिनियम के प्रावधान लागू करने हेतु नियम बनाने की शक्तियां (एस.27 और 28)।
» इसमें क्या शामिल है?
अधिनियम जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में लागू है. [एस (12)]
» सूचना के अधिकार का क्या अर्थ है ?
सूचना का अधिकार से तात्पर्य दस्तावेजों, अभिलेखों, नोट्स लेने, कार्य जांचने, उद्धरण या दस्तावेजों या अभिलेख की प्रमाणित प्रतियां, सामग्री के प्रमाणित नमूने लेने और प्रिंटआउट के रूप में जानकारी प्राप्त करने, डिस्केट, फ्लोपी, टेप, किसी भी अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रकार से या प्रिंट के माध्यम .[S.2(j)]
जन सूचना अधिकारी : श्री राम कुमार, निजी सचिव
अपील प्राधिकारी : डॉ.एन.वी.पाटिल, निदेशक