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प्रमुख क्षेत्र

  • स्वदेशी ऊँटों का परम्परागत और आण्विक उपायों द्वारा आनुवंशिक सुधार
  • तीव्र विकास और शीघ्र परिपक्वता के लिए चयन
  • ऊँटों का डेयरी पशु के रूप में चयनित विकास
  • उष्ट्र जनन क्षमता में सुधार
  • ऊँटों में कृत्रिम गर्भाधान का विकास
  • विविध उपयोगों के लिए उष्ट्र जीनोम विश्‍लेषण
  • सजगकता, निगरानी, बचाव एवं नियत्रंण उपायों द्वारा उष्ट्र रोगों का प्रबंधन
  • उष्ट्र रोग निदान हेतु विकास
  • उष्ट्र बछड़ों में मृत्यु के कारणों का पता लगाना और इसके संरक्षण हेतु उपाय
  • ऊँटों में औषधीय-गतिकी और दवा चयापचय पर अध्ययन
  • ऊँट के दूध का औषधीय महत्व एवं उपयोजन के लिए इसका मूल्य संवर्ध्दन और मूल्यांकन
  • उष्ट्र दुग्ध केसीन और लैक्टोफेरिन का आण्विक वर्गीकरण
  • वातावरण परिवर्तन से ऊँटों में अनुकूलन-तनाव कार्यिकी पर अनुसंधान
  • सजीव शरीर में रोग निदान/चिकित्सा हेतु उष्ट्र इम्यूनोग्लोबुलिन उपयोगिता का अन्वेषण
  • ऊँटों के लिए उचित मूल्‍य के भोज्य राशन का विकास
  • प्रथम अमाश्‍य (रूमेन) गतिकी पर अनुसंधान
  • उष्ट्र ऊर्जा का लेखा-जोखा और इसकी उपयोगिता हेतु भारवाहकता का आकलन
  • उष्ट्र पालन से सम्बन्धित समाजार्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण का अध्ययन
  • उष्ट्र अनुसंधान और जानकारी हेतु अन्तर्राष्ट्रीय प्रलेखन केन्द्र की स्थापना
  • पर्यावरण अनुकूल पर्यटन हेतु ऊँट का संवर्धन
  • भारत और विदेश के उत्कृष्ट बहुविषयक अनुसंधान केन्द्रों के साथ संपर्क
  • भू-क्षेत्र प्रबंधन
  • मानव संसाधन विकास

आधारभूत सुविधाएं

केन्द्र में आधारभूत सुविधाओं में प्रशासनिक-सह- पुस्तकालय भवन, अत्याधुनिक अनुसंधान प्रयोगशालाएं, शरीर कार्यिकी, जनन, जैव रसायन, प्रजनन और अनुवांशिकी, स्वास्थ्य, उत्पादन एवं प्रबंधन एवं पोषण सह लघु पशु प्रायोगिक अनुसंधानशाला, कृषि अनुसंधान सूचना तंत्र (एरिस), लगभग 350 ऊँटों की टोली, 659 एकड़ कृषि वानिकी परिक्षेत्र, आवासीय परिसर, अतिथि गृह, सामुदायिक भवन, सम्मेलन कक्ष, समिति कक्ष, उष्ट्र औषधालय, उष्ट्र संग्रहालय और उष्ट्र दुग्ध पार्लर सम्मिलित हैं।